लालू परिवार में भारी बवाल: Rohini Acharya का आरोप—“मुझ पर हमला हुआ, अपमानित किया गया, अब मेरा कोई परिवार नहीं”

पटना - बिहार की राजनीति का सबसे प्रभावशाली परिवार इस समय गंभीर उथल-पुथल से गुजर रहा है। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि उन्होंने राजनीति छोड़ने का निर्णय लिया है, और परिवार से भी रिश्ता तोड़ दिया है, क्योंकि उनके साथ “बहुत बुरा व्यवहार” किया गया। रोहिणी ने स्पष्ट शब्दों में आरोप लगाया कि उन्हें अपमानित, धमकाया और यहां तक कि शारीरिक रूप से धक्का देकर हमला किया गया।
इन आरोपों ने सिर्फ़ राजनीतिक हलकों में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में नई बहस छेड़ दी है, क्योंकि रोहिणी वही हैं जिन्होंने 2022 में अपने पिता लालू प्रसाद यादव को किडनी दान करके सुर्खियां बटोरी थीं।
“मुझ पर हमला किया गया… घर से निकाल दिया गया” — Rohini का सीधा आरोप
रोहिणी आचार्य का कहना है कि परिवार के भीतर की स्थिति इतनी बिगड़ गई कि उन पर हाथ उठाने और धक्का देने जैसी स्थिति बनाई गई। उन्होंने यह भी कहा कि उनसे बहस के दौरान “चप्पल उठाकर मारने” जैसी हरकत करने की कोशिश की गई।
उनका आरोप है कि परिवार के भीतर और पार्टी की रणनीति से जुड़े कुछ लोगों ने उन्हें लगातार अपमानित, डराया, और उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई।
उनके शब्दों में—
“अगर मैं सवाल पूछती हूँ, तो मुझे धक्का दिया जाता है, चिल्लाया जाता है, मारने की धमकी दी जाती है, और चप्पल भी उठाया जाता है। ऐसे माहौल में मैं न राजनीति कर सकती हूँ न परिवार में रह सकती हूँ। अब मेरा कोई परिवार नहीं है।”
रोहिणी ने यह भी कहा कि उन्हें कई बार घर से निकल जाने के लिए कहा गया और उनके सुझावों को हमेशा अनदेखा किया गया।
तेजस्वी यादव और उनके करीबी लोगों पर परोक्ष आरोप
रोहिणी ने सीधे नाम लिए बिना यह संकेत दिया कि मतभेदों की यह स्थिति तेजस्वी यादव की टीम और उनके कुछ खास सहयोगियों की वजह से बनी।
भीतरखाने की खबरों के अनुसार, चुनावी रणनीति पर सवाल उठाने और राजद की करारी हार को लेकर चर्चा के बाद हालात बिगड़े। रोहिणी ने कहा कि जब भी वह पार्टी के कामकाज या गलत निर्णयों पर बात करती थीं, उन्हें “चुप रहने”, “हटने”, और “घर छोड़ने” के निर्देश दिए जाते थे।
हालांकि तेजस्वी यादव और उनकी टीम की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक या व्यक्तिगत प्रतिक्रिया नहीं आई है।
भावनात्मक टूटन: त्याग की प्रतीक बेटी का विद्रोह
यह घटना इसलिए और भी गंभीर मानी जा रही है क्योंकि रोहिणी आचार्य की छवि हमेशा परिवार के सबसे समर्पित सदस्य की रही है।
उन्होंने अपने पिता को किडनी दी,
हमेशा उनके इलाज और राजनीतिक मुश्किलों में साथ रहीं,
और चुनावी अभियानों में भी सक्रिय रूप से जुड़ी रहीं।
ऐसे व्यक्ति का यह कहना कि
“मुझे परिवार से निकाल दिया गया”
और
“मुझ पर हमला हुआ”
सिर्फ़ एक विवाद नहीं, बल्कि परिवार के भीतर बहुत गहरे संकट का संकेत देता है।
लालू–राबड़ी की चुप्पी बढ़ा रही है सवाल
मामला सार्वजनिक होने के बावजूद लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी दोनों ने अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है।
घरेलू विवादों पर उनकी चुप्पी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं—
क्या परिवार के भीतर दरार पहले से बढ़ चुकी थी?
क्या चुनावी हार ने अंदरूनी तनाव को विस्फोट बनाकर बाहर ला दिया?
और क्या नेतृत्व पर बढ़ता दबाव इस टूटन की वजह बना?
राजनीतिक हलकों में यह चर्चा भी तेज है कि “राजद में फैसले कुछ सलाहकार लेते हैं, परिवार के सदस्य नहीं”— वही आरोप जो रोहिणी इशारों में उठा चुकी हैं।
पहले तेज प्रताप, अब रोहिणी—लगातार टूटता परिवार
लालू परिवार में असहमति की घटनाएं पिछले कुछ वर्षों में खुलकर सामने आती रही हैं।
तेज प्रताप यादव और तेजस्वी यादव के बीच की दूरियां किसी से छिपी नहीं थीं।
तेज प्रताप ने अलग राजनीतिक रास्ता अपनाया, बागी बयान दिए, और पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाए।
अब रोहिणी का परिवार छोड़ना तथा हमला होने का आरोप सामने आना परिवार की एकता पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह स्थिति राजद की छवि और नेतृत्व क्षमता दोनों पर सीधा असर डाल सकती है।
राजद की राजनीति पर गहरा असर संभव
रोहिणी के परिवार और राजनीति छोड़ने का असर कई स्तरों पर दिखाई दे सकता है—
राजद की पारिवारिक एकजुटता टूटती दिख रही है।
तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर सवाल बढ़ेंगे।
चुनावी हार के बाद यह विवाद पार्टी के मनोबल को और कम कर सकता है।
विरोधियों को सीधे नेरेटिव मिल जाएगा कि “परिवारवाद वाली पार्टी अंदर से बिखर रही है।”
राजद जिस तरह “परिवार आधारित राजनीतिक विरासत” पर टिका है, इस तरह के विवाद उसके लिए बहुत भारी पड़ सकते हैं।
आगे क्या होगा?
फिलहाल रोहिणी आचार्य का रुख बेहद स्पष्ट है—
वे राजनीति नहीं करेंगी,
परिवार से दूरी बना चुकी हैं,
और अपने साथ हुए कथित हमले व अपमान की घटनाओं पर पीछे हटने को तैयार नहीं।
अगर आने वाले दिनों में इस मामले पर कोई आधिकारिक पारिवारिक हस्तक्षेप नहीं हुआ, तो यह विवाद स्थायी दरार में बदल सकता है।
यह सिर्फ़ एक पारिवारिक विवाद नहीं रहा—यह अब बिहार की राजनीति का एक प्रमुख मुद्दा बन चुका है।
Delhi News Desk : GTNews18 - Gobarsahi Times



