बिहार विधानसभा चुनाव 2025: पहले चरण के बाद का परिदृश्य—क्या संकेत दे रहा है रिकॉर्ड मतदान?

6 नवंबर को हुए पहले चरण में बिहार ने मतदान प्रतिशत का नया कीर्तिमान बनाया। कुल मिलाकर करीब 65% वोटिंग दर्ज हुई—जो राज्य के लिए उल्लेखनीय है। यह चरण 18 ज़िलों की 121 विधानसभा सीटों पर शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ और लगभग 1,300 से अधिक उम्मीदवार मैदान में थे। महिलाओं की भागीदारी, बूथ-स्तर की तैयारी और जागरूकता अभियानों को इस उछाल के प्रमुख कारणों में गिना जा रहा है।
पहले चरण की मुख्य तस्वीर
कई जिलों में 70% के आसपास मतदान दर्ज हुआ, जबकि शहरी इलाक़ों—विशेषकर पटना—में भागीदारी अपेक्षाकृत कम रही।
व्यापक सुरक्षा-बंधोबस्त, वेबकास्टिंग/मॉनिटरिंग और आदर्श आचार संहिता के सख़्त पालन से मतदान काफ़ी हद तक शांतिपूर्ण रहा; केवल छिटपुट घटनाएँ सामने आईं।
महिला और युवा मतदाताओं की सक्रियता स्पष्ट रूप से दिखी—लंबी कतारें, पहली बार वोट करने वाले युवाओं का उत्साह और दिव्यांग मतदाताओं के लिए विशेष व्यवस्थाएँ चर्चा में रहीं।
किसके साथ कौन—राजनीतिक समीकरण
मुख्य संघर्ष NDA (BJP-JD(U)-HAM) और महागठबंधन/INDIA (RJD-कांग्रेस-वाम) के बीच माना जा रहा है। इसके साथ ही जन सुराज जैसे उभरते विकल्पों की उपस्थिति कुछ सीटों पर त्रिकोणीय या बहुकोणीय मुकाबला पैदा कर सकती है। मतदान के बाद दोनों खेमे ऊँचे प्रतिशत को अपने पक्ष में पढ़ रहे हैं, लेकिन निर्णायक तस्वीर काउंटिंग के दिन ही साफ़ होगी।
रिकॉर्ड मतदान का अर्थ—उत्साह ज़रूर, नतीजा अभी नहीं
उच्च मतदान को अक्सर परिवर्तन की चाह और सरकार के समर्थन—दोनों तरह के संकेत के रूप में देखा जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि केवल प्रतिशत के आधार पर निष्कर्ष निकालना जल्दबाज़ी होगी, क्योंकि प्रशासनिक सुधार (मतदाता सूची की शुद्धता, बूथ सुविधाएँ) भी भागीदारी बढ़ाते हैं। स्पष्ट है कि मतदाता मन बना कर निकले हैं, पर दिशा का अनुमान लगाना अभी जोखिम भरा है।
मुद्दे क्या उभर रहे हैं?
इस चरण के बाद जिन विषयों पर चर्चा तेज़ है, उनमें रोज़गार, महँगाई, क़ानून-व्यवस्था, स्थानीय विकास (सड़क-पानी-बिजली), शिक्षा-स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण शामिल हैं। ग्रामीण इलाक़ों में स्थानीय उम्मीदवार की पहुँच, कार्यकर्ता नेटवर्क और जातीय समीकरण परंपरागत रूप से प्रभावी कारक बने हुए हैं। शहरों में युवा वोटर रोज़गार/स्टार्टअप माहौल, डिजिटल सेवाएँ, ट्रैफ़िक-इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे विषय उठा रहे हैं।
आगे का कैलेंडर—दूसरा चरण और नतीजे
दूसरे चरण की वोटिंग 11 नवंबर को प्रस्तावित है। मतगणना 14 नवंबर को होगी। यानी राजनीतिक दावे-प्रतिदावे की बीच असली परीक्षा अब कुछ ही दिनों दूर है। उम्मीदवारों के लिए बूथ-स्तर की माइक्रो-मैनेजमेंट, मतदाता पहुँच, और टर्नआउट मैनेजमेंट निर्णायक होंगे।
निष्कर्ष
पहले चरण ने यह साफ़ कर दिया कि बिहार का मतदाता सजग और सक्रिय है। प्रशासनिक तैयारी के साथ चुनाव अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण रहे। रिकॉर्ड/उच्च मतदान लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत है, लेकिन किसे लाभ होगा—यह कहना अभी जल्दबाज़ी होगी। नज़र अब दूसरे चरण और 14 नवंबर की काउंटिंग पर रहेगी—यहीं से बिहार की नई राजनीतिक रेखांकन उभरेगा।
Election News Desk : Gobarsahi Times - GTNews18



