
गायघाट विधानसभा क्षेत्र में जन सुराज के उम्मीदवार और भाजपा के कद्दावर नेता अशोक कुमार सिंह के मैदान में उतरने से मुकाबला अब त्रिकोणीय हो गया है। अशोक कुमार सिंह भाजपा के पुराने और क्षेत्र के स्थानीय नेता हैं, जिनकी मजबूत पकड़ कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के बीच बनी हुई है। इस बार चुनाव में “स्थानीय बनाम बाहरी” का मुद्दा प्रमुख रूप से उभर रहा है।
जदयू की ओर से कोमल सिंह मैदान में हैं, जिन्होंने पिछली बार अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी को भीतरघात कर हरवाया था। इस घटना से नाराज़ होकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोमल सिंह के पिता एवं तत्कालीन एमएलसी दिनेश सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। बाद में परिस्थितियों के चलते उनकी पुनः जदयू में वापसी हुई, लेकिन स्थानीय संगठन में दरार अब भी पूरी तरह भर नहीं पाई है।
जदयू के कार्यकर्ता और पूर्व विधायक महेश्वर यादव सहित कई पुराने नेता अब भी उस घटना की पीड़ा नहीं भूल पाए हैं। वहीं कोमल सिंह और उनके परिवार की छवि एक “दबंग और माफिया प्रभाव वाले परिवार” के रूप में जानी जाती है, जिससे विरोधी मतों में वृद्धि देखी जा रही है।
दूसरी ओर, अशोक कुमार सिंह के जन सुराज से प्रत्याशी बनने के बाद नाराज़ भाजपा और जदयू कार्यकर्ताओं को एक नया विकल्प मिल गया है। 2015 में भी जब कोमल सिंह की माता वीणा देवी जदयू प्रत्याशी थीं, तब अशोक कुमार सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़कर वीणा देवी को पराजित किया था।
अब एक बार फिर वे मजबूत प्रत्याशी के रूप में उभरे हैं और जन सुराज से उनकी उम्मीदवारी ने चुनाव को नया मोड़ दे दिया है। फिलहाल स्थिति यह है कि गायघाट में जन सुराज, जदयू और राजद (या अन्य गठबंधन दल) के बीच मुकाबला त्रिकोणीय होता दिख रहा है।
Election News Desk : GTNews18 - Gobarsahi Time
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