Today's Editorial October 3 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025: मुद्दों की लड़ाई बनाम समीकरणों का खेल

बिहार 2025 के अंत तक एक और निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। 243 सीटों वाली विधानसभा के लिए चुनाव अक्टूबर–नवंबर के भीतर होने हैं—औपचारिक तिथियाँ अभी निर्वाचन आयोग ने घोषित नहीं की हैं। बहुमत का जादुई आंकड़ा 122 है। यह सिर्फ सत्ता परिवर्तन का नहीं, राज्य की विकास-परिकल्पना तय करने का मौसम है।
सियासत का वर्तमान परिदृश्य
जनवरी 2024 में नीतीश कुमार ने गठबंधन पलटकर फिर से एनडीए के साथ सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बने। यह बदलाव बताता है कि बिहार की राजनीति में गठबंधन-गणित कितनी तेजी से करवट ले सकता है—और यही अनिश्चितता 2025 के मुकाबले को और पेचीदा बनाती है।
2024 लोकसभा चुनाव ने भी माहौल को प्रभावित किया। निर्वाचन आयोग के आधिकारिक रुझानों/परिणामों के अनुसार जेडीयू और भाजपा—दोनों ने 12–12 सीटें जीतीं, जबकि एलजेपी (आरवी) ने 5, विपक्ष में राजद 4 और कांग्रेस 3 पर सिमटी। विधानसभा के ठीक पहले यह संकेत बताता है कि एनडीए ने अपनी पकड़ दिखाई, पर विपक्ष का आधार भी अक्षुण्ण है। (Election Commission of India)
मतदाता सूची और भरोसे का प्रश्न
चुनाव से पहले स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के तहत मतदाता सूचियों की बड़े पैमाने पर सफाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से बिहार के ड्राफ्ट रोल्स से हटाए गए करीब 65 लाख नामों पर डेटा देने को कहा—यह पारदर्शिता और मताधिकार की सुरक्षा, दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। उसी प्रक्रिया में कुछ स्थानों पर “नागरिकता” के आधार पर नाम हटाने की खबरें भी आईं। हमारा स्पष्ट मत है: शुद्ध और अद्यतन मतदाता सूची लोकतंत्र की शर्त है, इसलिए आयोग को हर कदम का स्पष्ट तर्क और जिला-वार आँकड़े जनता के सामने रखने चाहिए।
मुद्दे जो असल परीक्षा लेंगे
रोज़गार व उद्योगीकरण: प्रवासन आज भी बिहार की सबसे बड़ी कहानियों में है। केवल घोषणा नहीं, निवेश, एमएसएमई पारिस्थितिकी, और कौशल-लिंक्ड नौकरियों का ठोस रोडमैप चाहिए।
शिक्षा व स्वास्थ्य: स्कूल-विद्यालय से लेकर जिला अस्पतालों तक गुणवत्ता, शिक्षक/डॉक्टर की उपलब्धता और निगरानी की पारदर्शी व्यवस्था—यही वास्तविक “सुशासन” की कसौटी है।
कृषि, बाढ़ और जल-प्रबंधन: हर साल की बाढ़, सिंचाई, और नदी-तट संरक्षण पर दीर्घकालीन, बहु-विभागीय योजना—सिर्फ राहत-कैम्प नहीं, जोखिम घटाने वाला इंफ्रास्ट्रक्चर चाहिए।
कानून-व्यवस्था: अपराध का ग्राफ और उसकी धारणा—दोनों चुनावी मानस बनाते हैं; डाटा आधारित पुलिसिंग, फॉरेंसिक क्षमता और न्याय-प्रणाली में समयबद्धता अनिवार्य है।
सामाजिक न्याय और आरक्षण: जाति-आधारित सर्वे के बाद आरक्षण को 65% तक बढ़ाने की कोशिश न्यायालय में अटक गई। उच्च न्यायालय ने इसे असंवैधानिक करार दिया था, और सर्वोच्च न्यायालय ने स्थगन से इनकार करते हुए मामले पर सुनवाई जारी रखने का मार्ग चुना। राजनीतिक दलों को चाहिए कि वे न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करें और समान अवसर की संवैधानिक मर्यादाओं के भीतर ठोस समाधान रखें।
गठबंधन बनाम नेतृत्व—किसका पलड़ा भारी?
एनडीए के पास सत्ता और संगठनात्मक नेटवर्क का लाभ है; उधर विपक्ष—राजद, कांग्रेस और वाम दल—आरक्षण व जाति-सर्वे जैसे मुद्दों पर आक्रामक नैरेटिव गढ़ रहे हैं। हाल के बयानों, सीट-बँटवारे और पारिवारिक/आंतरिक संकेतों से भी रणनीति-व्यवस्था के संकेत मिलते हैं, पर अंततः जनता एजेंडा तय करती है—न कि केवल सियासी बयानबाज़ी।
हमारी अपेक्षाएँ: स्वच्छ, मुद्दा-केन्द्रित अभियान
घोषणापत्र की लागत बताइए: हर वादे के साथ धन-स्रोत, समयरेखा और निगरानी तंत्र सार्वजनिक हो।
डेटा पारदर्शिता: मतदाता सूची, बूथ-स्तर तैयारियाँ, और आचार संहिता उल्लंघन पर रीयल-टाइम खुली जानकारी उपलब्ध हो।
नफ़रत-मुक्त बहस: जाति/धर्म के सहारे ध्रुवीकरण लोकतंत्र को खोखला करता है; विकास, रोजगार और सेवा-डिलीवरी पर बहस हो।
युवाओं और महिलाओं का एजेंडा: प्रथम मतदाता, छात्राओं/महिलाओं की सुरक्षा, कौशल, उद्यमिता और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना—इन्हीं पर चुनावी मुकाबला टिके।
मतदाताओं से अपील
GobarsahiTimes–GTNews18 का स्पष्ट मत है: बिहार 2025 का चुनाव “कौन” नहीं, “क्या” तय करेगा। उम्मीदवारों से पूछिए—पाँच साल में क्या बदलेंगे, कैसे, और कब तक। चुनाव परिणाम चाहे जो हो, लोकतंत्र की असली जीत वही होगी जहाँ वादे कागज़ पर नहीं, जमीन पर दिखें।
फ़ैक्ट बॉक्स (पाठकों के लिए)
सीटें: बिहार विधानसभा में कुल 243; बहुमत 122 | (Wikipedia)
सम्भावित चुनाव-विंडो: अक्टूबर–नवंबर 2025 (औपचारिक शेड्यूल घोषित होना शेष)
लोकसभा 2024—बिहार की झलक: जेडीयू 12, भाजपा 12, एलजेपी (आरवी) 5; राजद 4, कांग्रेस 3। (Election Commission of India)
निष्कर्ष: बिहार की जनता ने बार-बार साबित किया है कि वह सत्ता बदलने से नहीं, शासन बदलने से बदलाव चाहती है। 2025 में भी वही कसौटी होगी—काम, करुणा और करिश्मा में से कौन-सा सचमुच टिकता है।
यह संपादकीय GobarsahiTimes–GTNews18 के लिए मूल, स्वतंत्र रचना है।
Source: Gobarsahi Times - GTNews18 Election Desk