दिल्ली में नवंबर से शुरू होगी केंद्र सरकार द्वारा ‘Bharat Taxi’; महिलाओं की सुरक्षा पर खास फोकस, ड्राइवरों के लिए शून्य कमीशन मॉडल

नई दिल्ली, 24 अक्टूबर 2025। देश में राइड-हेलिंग बाज़ार को सहकारी ढांचे में नई दिशा देने की तैयारी पूरी है। सहकारिता मंत्रालय की नीतिगत पहल के तहत ‘Bharat Taxi’ नाम से एक सहकारी कैब सेवा नवंबर से दिल्ली में पायलट रूप में शुरू होने जा रही है। इसका उद्देश्य है—ओला-उबर जैसी निजी एग्रीगेटर्स का व्यावहारिक विकल्प देना, पर महिलाओं की सुरक्षा और ड्राइवर-हितों को सबसे ऊपर रखते हुए।
क्या है ‘Bharat Taxi’?
‘भारत टैक्सी’ एक बहु-राज्य सहकारी मॉडल पर आधारित प्लेटफ़ॉर्म है, जिसे कई प्रमुख सहकारी संस्थाओं के सहयोग से संचालित किया जाएगा। यहाँ ड्राइवर सदस्य (मेंबर-ओनर) के रूप में जुड़ते हैं—यानी प्लेटफ़ॉर्म पर उनका स्वामित्व और भागीदारी सुनिश्चित होती है। यह मॉडल पारंपरिक “कमीशन-कट” व्यवस्था को हटाकर सब्सक्रिप्शन/मेंबरशिप फी पर काम करता है, ताकि किराये की कमाई सीधे ड्राइवर के पास पहुँचे और अनिश्चित कटौतियों से राहत मिले।
कब और कैसे शुरू होगा पायलट?
स्थान: दिल्ली—चयनित इलाकों में चरणबद्ध पायलट
समयरेखा: नवंबर 2025 से टेस्ट रन; इसके बाद उपयोगकर्ता फ़ीडबैक और ऑपरेशनल आँकड़ों के आधार पर दायरा बढ़ाया जाएगा
विस्तार योजना: पायलट सफल होने पर अन्य शहरों में चरणबद्ध विस्तार का रोडमैप—नियमों, परमिट और स्थानीय साझेदारियों के अनुसार
महिलाओं की सुरक्षा: क्या नया रहेगा?
इन-ऐप SOS/पैनिक बटन: आपात स्थिति में एक टैप पर अलर्ट—कंट्रोल-रूम, निकटतम सहायता और चुने हुए भरोसेमंद संपर्कों को तुरंत सूचना।
सख़्त सत्यापन: ड्राइवर की पहचान, पुलिस वेरिफ़िकेशन/ई-KYC, वाहन दस्तावेज़ और बैकग्राउंड चेक की बहु-स्तरीय प्रक्रिया।
महिला ड्राइवर पहल: “महिला सारथी” जैसे कार्यक्रम—महिला यात्रियों के लिए अधिक विकल्प और भरोसा।
लाइव ट्रैकिंग और शेयरिंग: यात्रा शुरू होते ही लाइव लोकेशन शेयर करने का विकल्प, रियल-टाइम मॉनिटरिंग और ऑडिट-लॉग।
नाइट सेफ़्टी प्रोटोकॉल: देर रात की राइड्स के लिए अतिरिक्त नियम—उच्च-जोखिम ज़ोनों पर अलर्ट, राइड-समाप्ति पुष्टि, और क्विक रिस्पॉन्स चेक-इन।
उद्देश्य यह है कि प्लेटफ़ॉर्म “सिर्फ़ बटन वाला SOS” न रहकर, तेज़ प्रतिक्रिया और जवाबदेही के साथ सच में कारगर बने।
ड्राइवरों के लिए क्या बदलेगा?
कमीशन नहीं, कमाई अपनी: प्रति-राइड कटौती की जगह स्थिर/लचीली मेंबरशिप—दैनिक/साप्ताहिक/मासिक योजनाएँ, ताकि ड्राइवर अपनी लागत का बेहतर पूर्वानुमान लगा सके।
लाभ-वितरण/बोनस की गुंजाइश: सहकारी सरप्लस का हिस्सा नियमों के अनुसार सदस्यों तक लौटा—ड्राइवर समुदाय की आय में टिकाऊ बढ़ोतरी।
प्रशिक्षण व बीमा: डिफेंसिव ड्राइविंग, ग्राहक शिष्टाचार, प्राथमिक चिकित्सा, साइबर-सेफ़्टी जैसे मॉड्यूल; साथ में स्वास्थ्य/दुर्घटना बीमा और आपातकालीन सहायता।
स्पष्ट नियमावली: प्लेटफ़ॉर्म-नीतियों, दंड/अपील-प्रक्रिया और विवाद-निपटारे के लिए पारदर्शी ढाँचा—ताकि एकतरफ़ा निलंबन/दंड जैसी शिकायतें कम हों।
यात्रियों के लिए फायदे
पारदर्शी किराया: फ़ेयर ब्रेक-अप साफ़; अधिभार/सर्ज-प्राइसिंग पर स्पष्ट नीतियाँ।
एकीकृत ऐप अनुभव: सरल UI/UX—राइड बुकिंग, ड्राइवर/वाहन विवरण, ETA, इन-ऐप सपोर्ट, बिलिंग और फीडबैक सब एक जगह।
भरोसा + जवाबदेही: सहकारी संरचना के कारण प्लेटफ़ॉर्म पर समुदाय-केंद्रित जवाबदेही; सुरक्षा उल्लंघनों पर सख़्त कार्रवाई।
भुगतान विकल्प: UPI/कार्ड/वॉलेट/कॅश (जहाँ मान्य) सहित बहु-विकल्प; रसीद/इनवॉइस ऑटो-मेल/डाउनलोड।
ओला-उबर से बड़ा अंतर
स्वामित्व का ढाँचा: यहाँ ड्राइवर सदस्य-स्वामी हैं—नीतियों में उनकी सहभागिता औपचारिक रूप से निहित।
कमाई का नियंत्रण: नो-कमिशन/सबसक्रिप्शन मॉडल से प्रति-राइड आय में कटौती नहीं; ड्राइवर के लिए पूर्वानुमेय लागत।
सुरक्षा-प्राथमिकता: महिलाओं की सुरक्षा और आपात प्रतिक्रिया के लिए प्लेटफ़ॉर्म-स्तरीय SOP, नियमित ऑडिट और डेटा-समर्थित निगरानी।
समुदाय-केंद्रित शासन: सहकारी नियमावली—एकतरफ़ा निर्णयों की जगह साझा निर्णय, शिकायत-निवारण और पारदर्शिता।
टेक्नॉलजी और संचालन
ऐप फीचर्स: रियल-टाइम मैचिंग, स्मार्ट रूटिंग, लो-GPS एरिया सपोर्ट, ऑटो-एस्केलेशन, और गुणवत्ता-आधारित रेटिंग/रिव्यू सिस्टम।
प्राइवेसी बाय डिज़ाइन: नंबर-मास्किंग, मिनिमम डेटा कलेक्शन, सुरक्षित लॉगिंग—ताकि सुरक्षा और गोपनीयता का संतुलन बना रहे।
फ़्रॉड/दुरुपयोग नियंत्रण: असामान्य पैटर्न पर अलर्ट, फेक-GPS/लोकेशन-स्पूफ़िंग पहचान, और त्वरित निलंबन-जाँच प्रक्रिया।
इन्फ़्रा-स्केलिंग: पायलट के दौरान सीमित दायरे में क्लस्टर्ड ऑपरेशंस, फ़ीडबैक के बाद आक्रामक स्केल-आउट—सपोर्ट और कंट्रोल-रूम क्षमता के साथ।
ड्राइवर ऑनबोर्डिंग: दस्तावेज़ और प्रक्रिया (संकेतात्मक)
दस्तावेज़: वैध ड्राइविंग लाइसेंस, वाणिज्यिक परमिट/PSV बैज, वाहन RC/बीमा/PUC, आधार/पैन आदि।
चरण: ई-KYC → वाहन निरीक्षण → प्रशिक्षण/ओरिएंटेशन → ऐप-किट/पैनिक-बटन सक्षम हार्डवेयर (जहाँ लागू) → लाइव।
सहायता: ऑन-ग्राउंड हेल्पडेस्क, दस्तावेज़ वैधता रिमाइंडर, और सतत प्रशिक्षण मॉड्यूल।
पायलट से फुल-रोलआउट तक: क्या देखेगा प्लेटफ़ॉर्म?
सेफ़्टी मेट्रिक्स: SOS-रिस्पॉन्स समय, रात के समय की राइड-सेफ़्टी, महिला उपयोगकर्ताओं का संतोष-स्कोर।
आर्थिक संकेतक: ड्राइवर आय में वृद्धि, राइड कैंसिलेशन/नो-शो में कमी, पीक-आवर उपलब्धता।
अनुभव सूचकांक: ऐप क्रैश/लेटेंसी, कस्टमर सपोर्ट TAT, शिकायत समाधान-दर।
अनुपालन: स्थानीय मोटर वाहन नियम, परमिट/फिटनेस, और शहर-स्तरीय दिशानिर्देशों के साथ निरंतर तालमेल।
संभावित चुनौतियाँ
मौजूदा एग्रीगेटर्स की पकड़: उपयोगकर्ता आदतों और ड्राइवर सप्लाई-साइड इनर्शिया को तोड़ना।
स्केल बनाम गुणवत्ता: तेज़ विस्तार में भी सुरक्षा/सेवा-मानक बनाए रखना।
शहर-वार नियामकीय विविधता: अलग-अलग राज्यों/शहरों के नियम—फेयर, परमिट, पैनिक-बटन हार्डवेयर, आदि—के अनुरूप शीघ्र अनुकूलन।
भविष्य की दृष्टि
दिल्ली पायलट से मिले डेटा के आधार पर फीस-स्ट्रक्चर, सेफ़्टी SOP, और ऐप अनुभव को परिष्कृत कर, चरणबद्ध राष्ट्रीय विस्तार का लक्ष्य है। अगर सहकारी ढांचा अपेक्षित परिणाम देता है, तो यह मॉडल शहरी मोबिलिटी में ‘ड्राइवर-फर्स्ट, सेफ़्टी-फर्स्ट’ बदलाव का आधार बन सकता है—खासतौर पर महिलाओं की सुरक्षित, भरोसेमंद और पारदर्शी यात्रा के लिए।
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